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फेक फाइव हंड्रेड ( नकली पांच सौ) भाग 4

Posted by शशांक शुक्ला on सोमवार, जून 07, 2010 in
साहब मै नकली नोट का स्मगलर नहीं हूं, साहब ये नोट मुझे एटीएम से मिला है, ये उसी में से निकला है।
अच्छा चलो हम उस बात पर विश्वास कर भी ले तो ये बात तो तय है कि तुमने इस नोट को चलाने की कोशिश की है जो एक जुर्म है। इसके लिये तो मुझे तुम्हे अंदर करना ही पड़ेगा।
साहब मुझे छोड़ दो ...रहम करो जो कहेंगे वो मै करुंगा,
देखो अगर बचना है तो जाकर सीतामल से बात करो....
सीतामल कौन है साहब....
वही जो तुम्हें यहां लेकर आया था।
अच्छा साहब
मनोज उस हवलदार के पास जाकर उससे कहता है.....हवलदार साहब आप ही मुझे बचा सकते है...कुछ करिये मुझे इस झंझट से बचा लीजिये.....

इतने में पुलिस इंस्पेक्टर ने आंखों से इशारा किया..... हवलदार को समझने में देर नहीं लगा.....

देखो मनोज मुझे पता है कि तुमने कुछ नहीं किया लेकिन कानून तो तुम्हे ही दोषी मानता है, क्योंकि तुमने नोट चलाने की कोशिश की है।

साहब मुझे बचा लो मै जेल जाना नहीं चाहता हूं। मुझे बचा लो।
तो देखो ऐसा है...तुम पांच हज़ार जुर्माना लाकर थानेदार साहब को दे दो, सारा मामला निपट जायेगा, देखो जल्दी करना नहीं तो देर हो गयी तो दिक्कत हो जायेगी तुम्हारे लिये।

पैसे की बात सुनकर मनोज की हक्का बक्का रह गया....जिन बचे कुचे पांच सौ रुपये कि लिये वो पिछले दो दिनों से दर दर भटक रहा था आज उससे पीछा छुड़ाने कि लिये उसे पांच हज़ार देने पड़ेगे ये तो मनोज ने कभी न सोचा था........मनोज की अब न हंस पा रहा था न रो पा रहा था.......अब उसने हार मान ली थी।

साहब तब तो आप मुझे जेल मे ही डाल दो ......क्योंकि यही पांच सौ रुपये मेरी आखिरी कमाई थी, क्योंकि अब मेरे पास इतने पैसे भी नहीं है कि मै अपना खर्चा भी उठा सकूं,...........पता नहीं अब मै कैसे अपने मां बाप को पैसे भेज सकूंगा..... आप ऐसा करिये की मुझे जेल में ही डाल दीजिये, अब तो मेरे पास एक पैसा भी नहीं है।

क्या कहता है तेरे पास एक भी रुपये नहीं है चल ऐसा कर एक हज़ार ही दे दे।
साहब मेरे पास अब एक फूटी कौड़ी भी नहीं है।
अबे किस भिखारी से पाला पड़ा है अच्छा जो है वो ही दे दे और निकल यहां से...
साहब मेरा पास ये आखिरी पांच सौ का नोट है जिसके चक्कर में मै यहां पर खड़ा हूं।
चल ला इसे और भाग यहां से निकल.....

इस मौके की तलाश तो मनोज को जाने कब से थी, बिना पीछे मुड़े वो सीधा आगे बढ़ता गया ...अपने घर की सीढियां चढता हुआ,अपने घर के बाथरुम में जाकर एक बाल्टी के पीछे छिप गया। उसका शरीर थरथर कांप रहा था, उसे ऐसा लगा मानों वो मौत के मुंह से सीधा अपने घर वापस आ रहा है। काफी देर बाद वो बाहर आकर देखने लगा कि कहीं उसका पीछा तो कोई नहीं कर रहा है। एक लम्बी सांस लेकर अपने बिस्तर पर गिर पड़ा उसको ये भी ख्याल नहीं था कि उसकी नौकरी जा चुकी है औऱ उसके पास चवन्नी भी नहीं है लेकिन एक सुकून है जिसकी वजह से उसे नींद आ गयी......

समाप्त


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